शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन

ये मेरे छितरे चिट्ठे शायद ही कोई पढ़ने आयेगा। सन् २००४ में काफी जोश के साथ शुरुवात की थी जो २००८ तक धार से बूंद बन गयी..  २०१० में ब्लॉगर ने कुछ नयी चीज़े डाली तो सोचा चलो एक आध चिट्ठा तो डाल ही दें। अगर आप ये पढ़े तो टिप्पणी के जरिये प्रोत्साहित करें।