यह किस्सा मेरे ऐक मित्र के साथ इंदौर मे हुआ था|
मेरा मित्र इंदौर में ऐक कंपनी में लिनक्स डालने की कोशिश कर रहा था, पर जाने क्यों लिनक्स राजी ही नही हो रहा था| उसे अच्छा खासा अनुभव भी है लिनक्स पे, पर शायद कुछ हार्डवेयर की समस्या होगी पर जनाब ने भी शायद ठान ही ली थी लिनक्स से भिडने की| 3-4 घंटे तक जूझने के उपरांत भी जब लिनक्स स्थापित नहीं हुआ तो समीप बैठे एक महानुभाव ने कहा "मैं ईसको ले कर आता हूँ"| मेरा मित्र पहले से ही त्रस्त था, उसने पूछा "किस्को"?| महानुभाव ने फिर से कहा "ईस्को" जिस पर पहले से ही झल्लाये हुए मित्र ने कहा "अरे ईस्को किस्को"? अब महानुभाव भी झल्ला के बोले "ईस्को यूनिक्स" (SCO UNIX)| यह सुनते ही मेरा मित्र हँसी से लोटपोट हो गया और महानुभाव उसको अचरज की निगाहों से देख रहे थे कि लिनक्स के बजाय ईस्को यूनिक्स की प्रस्तावना क्यो इतनी हास्यस्पद है|
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